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गुरुवार, 27 जून 2013

जानें संस्कृत पढें संस्कृत पाठ

जानें संस्कृत पढें संस्कृत


पाठ 1
जानें संस्कृत पढें संस्कृत में सभी सदस्योंका स्वागत है। आइये बात करें स्वागत की।
आगत = आया हुआ। परन्तु आगतम् = आगमन अर्थात किसी का आना । उसमें सु लगा दिया जो अच्छाईका द्योतक है। तो बन गया सु + आगतम् अर्थात स्वागतम्। और अब तो लोग उसमें एक और सु जोडने लगे ताकि और अच्छा हो। इस प्रकार सुस्वागतम् कहने का चलन बन गया।
वैसे आगत भी बना है गत में आ जोडकर। गत अर्थात जो गया । विगत का अर्थ है वह काल जो बीत गया। परंपरागत अर्थात जो परंपराके कारण चल रहा है। अभ्यागत का अर्थ है विशिष्टता के साथ आया हुआ (अभि + आगत = अभ्यागत)।



पाठ 2

संस्कृत सीखनेकी एक अति सरल युक्ति है। देखिये ये पंक्ति -- ११, २१, ३१, ४१, ५१ .. हर बार इकाइ में १ है और हम इसका अर्थ समझते हैं और जानते हैं कि इसे एक तरीकेसे पढा और समझा जाता है -- इग्यारह, इक्कीस, इकतीस, इकतालिस ... । ये दूसरी पंक्ति देखिये -- ९१, ९२, ९३, ९४... यहाँ दशक का अंक एक ही है। इसका भी अर्थ हम समझ लेते हैं.
इसी प्रकार संस्कृत में अंत में कुछ प्रत्यय लगते हैं और आरंभ में कुछ उपसर्ग । ऐसे शब्द मिल जायें तो उनके अर्थ और छंदात्मकता खूब उपयोग किया जा सकता है। ऐसा सर्वाधिक उपयोग करनेवाली भाषा है संस्कृत । 
पिछले पाठ में मैंने अंतमें आगत या गत लगाकर बननेवाले कुछ शब्द गिनाये थे। आज देखते हां क्रम से संबंधित ये शब्द -- क्रम, अनुक्रम, वर्णक्रम, विक्रम, पराक्रम, कार्यक्रम, आक्रमण, संक्रमण। ये सभी शब्द भारतकी हर भाषामें प्रयुक्त होते हैं। 
तो सोचिये तीन बातें -- क्या आप इनमेंसे हर शब्द का अर्थ उसकी छटाके साथ पूर्णतासे जानते हैं और उपयोग में लाते हैं -- किसी श्बद से उलझ गये हों तो यहाँ पूछ लें। 
दूसरी बात -- इतने संस्कृत शब्द जानते हुए हम क्यों न जनगणना में लिखवायें कि हमारी ज्ञात भाषाओंमें एक संस्कृत भी है।
तीसरी बात -- हमारी जमगणना की नीति विघटनवादी है -- क्या हम उसे संघटनवादी नही बना सकते -- मसलन वे पूछते हैं आपकी मातृभाषा क्या है और इस प्रकार एक मराठी या मैथिली या भोजपुरी बोलनेवालेको हिंदी बोलनेवालोंसे अलग कर देते हैं। इसकी बजाय वे पूछें कि आप भारत की कौन-कौनसी भाषा जानते हैं -- तो हम गर्वसे अपनी जानकारी की सभी भाषाएँ गिना सकते हैं और उनकी पढाई कर खुश हो सकते हैं।

पाठ 3
परखिये अपना संस्कृत का ज्ञान और यहाँ लिख डालिये सही अर्थ इन शब्दोंके -- 

भव, संभव, वैभव, अनुभव, पराभव, उद्भव, 

भाव, प्रभाव, आविर्भाव, अभाव, दुर्भाव, स्वभाव, अहंभाव

पाठ 4
मन्मथारि या नामाचे संबोधन आहे मन्मथारे (खालील श्लोकात). ते वाचून हा पाठ लिहावा वाटला. 

मन्मथारि -- मन्मथाचा (मदनाचा) अरि (शत्रू) अर्थात शंकर. याचप्रमाणे अरि ने शेवट होणारी इतर नावे आहेत -- मुरारि 

(कृष्ण), त्रिपुरारि (शंकर), मदनारि। या सर्वांचा धावा करायचा झाल्यास संबोधनामधे रि चा रे होतो, उदा श्रीकृष्ण गोविंद हरे, 

मुरारे ..

















सोमवार, 3 जून 2013

Sanskrit Wikipedia

Work in progress: 

Techies give the ancient language fresh lease of life with site that attracts about 5L visitors a month, reviving interest in the language
Niranjan Kaggere
     
Posted On Monday, June 03, 2013 at 10:28:38 AM
Dr Sumana Koundinya with a colleague
Copyright holders would sneer at the idea of digital preservation, but a group of techies is giving an ancient language a fresh lease of life with the technique.
 
Until about a year ago, most of these ‘scientists’ in the digital sphere had pursued plush tech jobs in IT majors.
 
In the prime of their careers, they have have stepped back to give Sanskrita thrust. Over the last few years, these techies, while simultaneously working on their MNC jobs, earned doctoral degrees in Sanskrit. 

They then began to focus their technical prowess on creating a strong digital database for Sanskrit. That effort resulted in Sanskrit Wikipedia, an online project that could become the Sanskrit version of the popular free encyclopaedia. 

What is more, the project is reviving interest in the language with more and more ordinary people signing up to learn the language. 

“Prior to the invention of the printing press, there were about 6,000 languages of which 4,000 vanished because they could not adapt to print and printing technology,” said Chamu Krishna Shastri, a renowned scholar of Sanskrit and a founder of the NGO Samskrita Bharati, which supports Sanskrit Wikipedia.
 
“In this digital age, everything has to have a digital presence. If a language does not have a presence on the Internet or the digital world, it will not survive for long. This is what inspired Sanskrit Wikipedia project. It will bridge the gap between Sanskrit and technology. 

More than anything else it is Sanskrit for ‘Screenagers’ as everybody picks up lessons from screens these days!” Sanskrit Wikipedia, says Dr Sumana Koundinya, the leader of the project, marries an old language to modern techniques. 

“Those who studied Sanskrit knew very little about (modern) sciences,” Koundinya said. “Similarly, scientists in various disciplines had no knowledge of Sanskrit and its ancient wisdom. Sanskrit Wikipedia is a medium which bridges the gap between these two extremities.” Koundinya quit a plush job in Oracle a couple of years ago to devote herself completely to popularising the language.

She says eight people — techies and Sanskrit scholars — are working full-time on the project. It hasn’t been easy though. “We are thankful to the Department of Kannada and Culture which pumped in initial funds to kick off the project,” Koundinya said. 

“We have grown with contributions and voluntary services of various people from across the globe. The Wikimedia Foundation based in New Delhi helped us with orientation and insight into content development. 

Resource persons like Siju Alex and Arun Ramanathan gave us technical assistance to meet the challenges of Unicode. Today, not just Bangalore and India, but people from Germany and the US contribute articles.” 

The group receives about 125 articles on an average every month from people across the globe. And while they are trying its best to generate original content, it relies heavily on the conventional Wikipedia for contemporary topics. 

The group also teaches ordinary people to speak and write Sanskrit. Their work is available at www.sa.wikipedia.org.