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मंगलवार, 16 मई 2017

संस्कृतविश्व-- डॉ.प्रमोद पाठक

संस्कृत विश्व ( दुनिया )

-- डॉ.प्रमोद पाठक

इस धारावाहिक का शीर्षक “संस्कृतविश्व” होगा तथा यह 13 से 20

भागोंमे प्रसारित करनेका मनोदय है.

आधा घंटा (30 मि.) चलनेवाली यह धारावाहिकाका प्रत्येक भाग

(एपिसोड ) चार विभागोंमे ( सेगमेंटस् ) प्रसारित किया जायेगा-

प्रारंभिक नांदी तथा विषय परिचय-- -- -- -- - 2 मि.

1) धरोहर -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- - 8 मि.

2) संस्कृत भाषा परिचय-- -- -- -- -- 8 मि.

3) रोजगार उपलब्धी-- -- -- -- -- -- -- -- -- - 2 मि.

4) वार्ता विशेष-- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- - 2 मि.

अंतीम निवेदन-- -- -- -- -- -- -- -- -- -- -- 2 मि.

24 मि.
यह धारवाहिका का प्रारंभ संस्कृत नाटकों का प्रारंभ जिस प्रकारसे

नांदी नमन से होता है, सुत्रधार और नटी निवेदन करते है, उस

प्रकारसे होगा.

हर भाग ( एपिसोड ) की नांदी नयी और अलग-अलग संस्कृत

नाटकोंसे, उस नाटक का उल्लेख करके प्रस्तुत किया जायेगा. तथा

भाग दौरान उसही नाटकके पात्र निवेदन करेंगे. (There will be no

separate anchor as discussed. The narration by these

characters will be regarding the theme of the episode and

will be in a continuous flow.)
इसका उद्देश प्रेक्षकों को (अनायास) उन एकेक नाटक के तथा

उसके रचयिता के बारेमे जानकारी मिलेगी, ये होगा. अंतमे उसी

नाटक का अंतिम चरण या तो नाटक का सुभाषित विशेष प्रस्तुत कर,

पूर्ण विराम दिया जायेगा.

धारावाहिका का स्वरूप स्पष्ट होने के लिए 30 – 35 मि. की

झलक ( ट्रेलर) प्रस्तुत किया जायेगा.

झलक की रूपरेखा (Trailer)

1-- - प्रारंभिक निवेदन -- -- 2 मि.

नांदी -- -- 2 मि.

चुने हुऐ दो नाटकों की नांदी प्रस्तुत की जायेगी—4 मि.

2-- - धरोहर

दो प्रस्तुतीया
अ-- -- - वाराणसी—भारतीय संस्कृती की अनादी काल से नींव

बना शहर -- -- - 8 मि.

ब-- -- - ऋग्वेद परिचय 8 मि.

3-- - सुलभ संस्कृत

भाग पहला

अ-- -- - संस्कृत भाषा,का सुगम परिचय

ब-- -- - चारो प्राकृत अभिजात(CLASSICAL) महाराष्ट्री,

अर्धमागधी, शौरसेनी, पैशाची. भाषाओं का मूलस्त्रोत

क-- -- प्राचीन कालमे अखिल भारत को जोडने वाली भाषा (LINK

LANGUAGE) और कई भाषाओंकी जननी

ड -- -- संस्कृत भाषाका अभिन्न अंग “सुभाषित” संग्रह

भाग दूसरा

, संस्कृत भाषा की विशेषता—नाम, प्रत्यय, क्रियापद, संधी, व्यंजन,

कोई दुसरी भाषा मे नही है. व्दिवचन केवल Lithuania की युरोपिय

भाषा मे है.

प्रत्ययों का उच्चारण और उनका प्रयोग किसी नाम और क्रियापद के

साथ.

पाच दैनंदिन वाक्यों का प्रयोग.

एक सुभाषित पठन.

एक सुभाषित पहेली( उत्तर अगले भाग मे)

3-- - जिविका वृत्ति (रोजगार उपलब्धी)
Employment News के अंकों मे छपी हुयी विज्ञापन की जानकारी

4-- -- वार्ता विशेष

इसमे दैनंदिन वार्ता न देकर खास तरह की रोचक वार्ता देनेका

प्रयास होगा. उनके कुछ उदाहरण दिये है-- -

1. Underground search for the ghost particle – neutrinos

(Indian Express 29/3/2017

ब. Galactic challenge to Einstein’s Gravity

क आकाशस्थ तारकाओं की गिनती 10 24 उसके लिए संस्कृत भाषा

गणना

धरोहर

प्रस्तुती

पुण्यनगरी काशी

इसका चित्रांकन काशी मे किया जायेगा.
1) काशी की महत्ता-- - पुराणों के संदर्भ श्लोक .

इन पुराणों के पुस्तकों के मुखपृष्ठ दिखाये जायेंगे. काशी का सबसे

प्राचीन निर्देश-- - साहित्य के संदर्भ.

2) काशी का पुरातत्व-- - वाराणसी के वस्तुसंग्रहालय का चित्रिकरण

तथा निर्देशक का साक्षात्कार (Director of Museum)और

3—4 वाक्योंमे जानकारी.

3) काशी नरेशों की नामावली तथा विद्यमान काशी नरेश का

साक्षात्कार 2-3 वाक्योंमे.

4) काशी विश्वनाथ मंदिर तथा काशी के घाटों का चित्रण.

5) काशी परिक्रमा की जानकारी तथा काशी का नक्क्षा
परिक्रमा को

लगनेवाला अवधी.
6) काशी के प्रसिध्द गुरूकुल जहा वेद तथा पारंपारिक शास्त्रों का

पारंपारिक पध्दतीसे पठन का चित्रण. विद्यार्थी तथा अध्यापक

गणोंका चित्रीकरण.

7) काशी विश्वविद्यालय तथा संपूर्णानंद विश्वविद्यालय

8) काशी के विद्यमान वैदिक तथा शास्त्री, विव्दानों का साक्षात्कार.

धरोहर

प्रस्तुती

ऋग्वेद की घरोहर

1) इसका प्रारंभ अग्निमिळे से होगा

2) वेदों का उच्चारण किसी तरहसे गलत न हो उसके लिए पाठ

पध्दती, अष्टाविकृति, शब्दक्रम आकडों मे तथा अक्षरोंमे

दिखाया जायेंगा- 1-2- 3, 1-2, 2-1, 2-3 इ. पद, क्रम, जटा,

घन इ.का सस्वर पाठ.

3) ऋग्वेद के मंडल, सूक्त, ऋचा, इनकी जानकारी.

4) ऋग्वेद के कुछ ऋषि, ऋषिकाओं के सूक्तों की जानकारी.

5) ऋग्वेद के संवाद सूक्त जो आगे चलकर नाट्य लेखकों की प्रेरणा

बने. (यहा राजा रविवर्मा का चित्र पुरूरवा – उर्वशी)

6) ऋग्वेद का पारंपारिक अध्ययन करने मे सहाय्यभूत

ग्रंथ—निघण्टु, निरूक्त, सायण भाष्य इ. पर 3-5 वाक्यों मे

जानकारी.

7) ऋग्वेद के आधुनिक भाषांतरकार तथा

भाष्यकार—मँक्समुल्लर, म. दयानंद, सातवळेकर इ.

8) ऋग्वेद के गूढ सूक्त—नासदीय सूक्त, देवानाम् सूक्त,

अस्यवामीय सूक्तों का निर्देश.

9) ऋग्वेद मे निर्देशित कुछ entities का आधुनिक दृष्टिसे स्वरूप

जैसे- वृत्र, अपांनपात इ.

समारोप

प्रारंभ मे जिसका निर्देश किया उस नाटकसे कोई उचीत सुभाषित, वचन या

अंतीम वाक्य . इसके दौरान सभी पात्र प्रेक्षकों के सामने प्रस्तुत करेंगे.