संस्कृत की दुनिया
T.V. PROGRAMME
---. Opening Music---
प्रस्तावना : भारत का हरेक प्रकार का गौरव संस्कृत भाषा के साथ जुड़ा हुआ है। इसमें कोई सन्देह नहीं कि जब हम संस्कृत को लेकर कोई TV programme बनाने की बात सोचें तो कई प्रकार की जिज्ञासाएं हो सकती हैं.....।
यह कार्यक्रम क्यों, कैसा और किसके लिए....? इस प्रकार के कार्यक्रम से क्या-क्या लाभ हो सकते हैं....वगैरह.....।
इन सभी प्रकार की शंकाओं और जिज्ञासाओं के उत्तर में सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि आज ईक्कीसवीं शताब्दी की पहली दशाब्दी में, सूचना क्रान्ति और उद्योग-विज्ञान के तकनीकी युग में, हमें अपनी विरासत और समृद्ध परम्पराओं को, नयी पीढ़ी के लिए और अधिक व्यावहारिक बनाना है और इसके लिए व्यापक और सभी के लिए स्वीकार्य माध्यम है - TV.
यह कार्यक्रम किन-किन बातों पर विशेष ध्यान देगा :
चूंकि इस प्रकार के कार्यक्रम को कई segments में बांट देने से अपार ज्ञान राशि और विविध प्रकार की सूचनाओं का संकलन व्यवस्थित हो सकता है अतः हम निम्नलिखित बिन्दुओं में से किसी एक को, एक एपीसोड के सिर्फ एक segment में शामिल कर सकते हैं। ये संलक्षित (Targeted) बिन्दु हैं -
1. Preservation of knowledge Treasure.
2. Propagation of language and literature.
3. Learning + Teaching which can be quick and higher.
4. Revalidation of Indian traditions and knowledge (पुनः
प्रस्थापना)।
5. Felicitation and highlight of scholars, institutions, manuscripts family for world to know.
6. To apply modern technology for 1 - 5.
7. Explore Sanskrit as tool for modernity.
8. Apart from literature, Astrology, Ayurveda, Mantra-sound, Environment-cleansing, Geography, Archaeology, Music
(गान, तन्त्र), Economics Toursim, Political Science, Health
Science, Yoga etc.
9. Six system of Philosophy and other prevalent thoughts of
world.
10. Computer related matters and Sanskrit grammer (NASA)
इस कार्यक्रम को रोचक और स्वीकार्य बनाने के लिए निम्नलिखित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान दिया जायेगा -
1. Client audience.
2. Programme has to compete with other programmes.
3. Entertainment + Knowledge + Action.
4. Information - invite (to invite audience to recite Sanskrit).
5. Recital by audience.
FORMAT OF THE PROGRAMME -
''संस्कृत की दुनिया'' नामक इस टी० वी० कार्यक्रम की अवधि १२ से १५ मिनिट्स की हो सकती है जिसमें ३ अथवा ४ segments रखें जायें। कार्यक्रम का पहला segment - Prog-Montage से शुरू करते हुए शीर्षक गीत में वैदिक शान्ति पाठ को शामिल किया जाए। इस कार्यक्रम की भाषा प्रमुखतया हिन्दी ही हो किन्तु कार्यक्रम के स्वरूप के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर संस्कृत, अंग्रेजी या कहीं-कहीं, थोड़ी-थोड़ी क्षेत्रीय भाषाओं का प्रयोग भी हो सकता है।
सूत्रधार (He or She) एपीसोड के नायक, संस्कृत-जीवी को highlight करेगा या करेगी। उसकी उपलब्धियों और रचनाओं की प्रासंगिकता को वर्तमान-जगत् की उपयोगिता के लिए प्रस्तुत किया जाए।
एपीसोड का नायक-विद्वान् आधुनिक या प्राचीन परम्पराओं से (School of thoughts may be different) जुड़ा हो सकता है।
कार्यक्रम का तीसरा segment रोचकता से भरपूर हो जिससे सामान्य दर्शक भी अपने आपको इसके साथ जोड़ सके। इसके लिए मनोरंजक घटना, कथा-कहानी या चुटकुला भी हो सकता है।
चौथे और अन्तिम segment में दर्शक से कोई एक प्रश्न पूछा जाए और बाद में सच्चा जवाब भेजने वाले को नकद या कोई गिफ्ट या पुरस्कार दिया जाए।
अंत में सुभाषित का सन्दर्भ भी दिया जा सकता है, जिससे अप्रत्यक्षरूप से युवा-पीढ़ी को नैतिक सन्देश मिल सके।
कार्यक्रम का समापन करने से पहले Anchor, ''संस्कृत की दुनिया'' से जुड़ी राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय या क्षेत्रीय कोई भी विशेष घटना, रचना, उपलब्धि या कार्य की update सूचना दे कर, कार्यक्रम का एपीसोड पूरा करें।
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